मैं जानता था उसने ही बरबाद किया है
शायरी | ग़ज़ल तेजेन्द्र शर्मा3 May 2012
घर जिसने किसी ग़ैर का आबाद किया है
शिद्दत से आज दिल ने उसे याद किया है।
जग सोच रहा था कि है वो मेरा तलबगार
मैं जानता था उसने ही बरबाद किया है।
तू ये ना सोच शीशा सदा सच है बोलता
जो ख़ुश करे वो आईना ईजाद किया है।
सीने में ज़ख्म है मगर टपका नहीं लहू
कैसे मगर ये तुमने ऐ सैय्याद किया है।
तुम चाहने वालों की सियासत में रहे गुम
सच बोलने वालों को नहीं शाद किया है।
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