मैं लेखक हूँ
काव्य साहित्य | कविता नवल किशोर कुमार3 May 2012
मैं लेखक हूँ
तार्किक भौतिकता का अमर स्वरूप हूँ
समय की तेज धार समझता हूँ
हरदम कल्पनाओं की बात करता हूँ।
लेखनी के तीक्ष्ण स्वरों से,
जन-जन की बात कहता हूँ
समाज के बंधनों में जकड़ा
छटपटाहट में अकुलाता हूँ
मिटता नहीं मोह माया का,
ज़मीनी हक़ीक़त को झुठलाता हूँ।
काम, क्रोध और कामना हैं बंधु मेरे,
मोक्ष प्राप्ति की कामना करता हूँ।
तज स्वार्थ व निःस्वार्थ सब,
हर पल जीवन की सच्ची बात कहता हूँ
इतिहास का मूक साक्षी मैं,
इतिहास रचने की कोशिश करता हूँ।
समा इतिहास की गर्त में,
खोखली आत्मा का अन्वेशण करता हूँ।
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