मैं समय हूँ
काव्य साहित्य | कविता राजीव डोगरा ’विमल’1 Feb 2020
मैं समय हूँ
फिर लौट कर आऊँगा
सब ग़मों को चीरकर
और ख़ामोशी से सबको
चुप करवा जाऊँगा।
मैं समय हूँ
सब जानता हूँ
इसीलिए घबराता नहीं
चुपचाप सुनता हूँ
किसी को सुनाता नहीं।
मैं समय हूँ
बीत कर भी मैं
फिर वापस भी आ जाता हूँ
और जब आता हूँ
तो सब कुछ
अच्छा बुरा दिखा जाता हूँ।
मैं समय हूँ
कभी रुकता नहीं
थकता भी नहीं
फिर भी सब कुछ
बदल देता हूँ
अपने आग़ोश में।
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