मैं श्वेत रंग तिरंगे का
काव्य साहित्य | कविता मधुलिका मिश्रा15 Apr 2019
भगवा रंग हिंदू का बना
इस्लाम का रंग हरा हुआ,
सफ़ेद हुआ बाक़ी सबका
फिर कहलाया तिरंगा।
सफ़ेद रंग ने ख़ूब दर्शाया,
कभी न्याय तो कभी
शांति का पहनावा
सबका होकर भी -
सबसे जुदा
हर वर्ग, हर जाति को अपनाया
जो ना भगवा, ना हरा था
बस सबको बाँध लिया
और मुझ में समा गया।
तीनों रंग बाँधकर
बन गया तिरंगा
चक्र बनकर मोहर लगा।
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