मनुज
काव्य साहित्य | कविता नितिन चौरसिया8 Jan 2019
पतवारों के साथ मनुज का साहस तो बढ़ जाता है,
पर संकट के समय मनुज का हृदय बहुत घबराता है,
आत्मशक्ति जागृत करने को ख़ुद सम्बल भरना होगा,
जीवन है एक कठिन यात्रा मनुज तुम्हें चलना होगा॥
जैसे चलते सूर्य - चन्द्रमा - पृथ्वी अपनी धुरी पर,
तुम भी खोजो अपनी धुरी कर्तव्यों के शुभ पथ पर,
लक्ष्य मनुज का क्या है? इसे समझने को जलना होगा,
जीवन है एक कठिन यात्रा मनुज तुम्हें चलना होगा॥
दीप्तिमान रहता है अम्बर सूर्य - चन्द्र और तारों से,
जाने कितने मनुज प्रेरणा पाते हैं अवतारों से,
घनघोर घटा छायी हो तो बिजली बन तुम्हें निकलना होगा,
जीवन है एक कठिन यात्रा मनुज तुम्हें चलना होगा॥
है जिजीविषा जिसमें उसने हर पीड़ा ठुकराई है,
इच्छाबल के आगे कोई शक्ति कहाँ टिक पाई है,
जब राह मुखर न हो कोई तब जुगनू - सा जलना होगा,
जीवन है एक कठिन यात्रा मनुज तुम्हें चलना होगा॥
जो पीर परायी जाने है और कर्तव्यों के पालक है,
आने वाली पीढ़ी के वे ही सच्चे उद्धारक हैं,
हर किरण जहाँ छुप जाती हो वो प्रकाशपुंज बनना होगा,
जीवन है एक कठिन यात्रा मनुज तुम्हें चलना होगा॥
धन - वैभव - यश - कीर्ति नहीं होते हैं मानव के द्योतक,
निष्ठा - भाव - वचन - सहिष्णुता - करुणा ये हैं मानवता पोषक,
मनुज अगर कहलाना है तो कुछ सद्गुण भरना होगा,
जीवन है एक कठिन यात्रा मनुज तुम्हें चलना होगा॥
कीर्तिगान करती वसुंधरा युगों युगों तक उस मनु का,
जिसने जीवन दिया साथ ही दिया लक्ष्य भी जीवन का,
जीवन लक्ष्य प्राप्त करने को मार्ग उचित चुनना होगा,
जीवन है एक कठिन यात्रा मनुज तुम्हें चलना होगा॥
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