मंज़ूर...
काव्य साहित्य | कविता शाश्वती पंडा15 Sep 2020 (अंक: 164, द्वितीय, 2020 में प्रकाशित)
तुझे हद से ज़्यादा
चाहना गर ग़लत है
तो .....
मैं यह ग़लती बारबार करूँ ।
तेरे प्यार में .....गर
मरना भी पड़ जाये तो
वह भी है मंज़ूर.... ।
तेरी हर रंजिश को
बारबार सहारूँ,
तेरी रूठन को भी
खुशी खुशी निवारूँ।
पर... तुझे.....!!
तेरे प्यार को भूला दूँ .....!!!
यह..... कभी न करूँ..॥
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