मतदान
काव्य साहित्य | कविता मंजुल सिंह15 Jul 2021 (अंक: 185, द्वितीय, 2021 में प्रकाशित)
चुनाव आते है
नौकरशाही से लबरेज़
वो डी.एम. हर बार आता है
और
ज़रूरी सूचना बता कर चला जाता है
मतदान देना आपका अधिकार है
इस बार अधिक से अधिक मतदान करें
और इस उत्सव में शामिल हो
पर मतदान के बाद उस डी.एम.
को अपने प्रमोशन की चिंता सताती है
वो भूल जाता है और
कभी बताने नहीं आता
कि मतदान से अधिक ज़रूरी है
बच्चो को स्कूल भेजना!
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