मौसम अलबेला
काव्य साहित्य | कविता डॉ. शिप्रा वर्मा1 Feb 2020 (अंक: 149, प्रथम, 2020 में प्रकाशित)
मौसम अलबेला जब आए
चल बगिया में जामुन खाएँ
कोटरों से निकलो पंछी तुम
हवा सुहानी - घूम के आएँ
वो बादल भी निकला घर से
रिमझिम वर्षा - भीगा जाए
ख़ुश तो आज बहुत है मौसम
ठंडी - ठंडी हवा इतराए
यह मौसम और संग हो तेरा
क्यों न चले हम भी बल खाएँ
कुछ कहना है तुझसे मौसम
वही जो अब तक कह न पाए
साँस – साँस में घुल जा मौसम
जीवन भर फिर बिछड़ न पाए
रंग सुनहरे मौसम से ले
जीवन को रंगीन बनाएँ!!
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