मेरा वतन हिन्दुस्तान
काव्य साहित्य | कविता मईनुदीन कोहरी ’नाचीज़’15 Aug 2021 (अंक: 187, द्वितीय, 2021 में प्रकाशित)
मेरा वतन - मेरा वतन प्यारा है हिन्दुस्तान
सबसे प्यारा मेरा प्यारा वतन है हिन्दुस्तान
गगन को छूले ऊँचा शिखर जहाँ हिमालय
जहाँ से निकले नदियाँ वो मेरा हिन्दुस्तान
उतर का बड़ा मैदान नदियों से है ख़ुशहाल
खाद्यान जहाँ उपजे वो वतन है हिन्दुस्तान
विभिन्नता में भी एकता जहाँ नज़र आती हो
विभिन्न जाति धर्मो का प्यारा है हिन्दुस्तान
काशमीर से केरल तक एकता का संचार
पूर्व से पश्चिम एक सूत्र में बँधा हिन्दुस्तान
एक संविधान की छत्रछाया में सवा अरब
एक भाषा से जुड़ा मेरा प्यारा हिन्दुस्तान
हिन्दु मुस्लिम सिक्ख ईसाई वतन के लाल
इनकी ताक़त से फले-फूले मेरा हिन्दुस्तान
मेरे वतन की महक से महके दुनियाँ सारी
'नाचीज़' तक़दीर से तू जन्मा वो हिन्दुस्तान
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