मेरा देश महान
काव्य साहित्य | कविता डॉ. गुलाम मुर्त्तज़ा शरीफ़23 May 2017
मेरा देश महान रे साथी, मेरा देश महान!
जाति-पाति के भेदभाव से, हमें है बचकर चलना,
हिन्दू, मुस्लिम, सिख, इसाई, सबको एक समझना,
प्यारी माता, धरती माता, हम तुझ पर बलिदान,
मेरा देश महान रे साथी, मेरा देश महान!
भरा स्वच्छ पानी नदियों में, जीवन का उल्हास लिए,
चहक-चहक कर गाते पक्षी, रंगों की बौछार लिए,
नन्हीं नन्हीं बूँदों से, भरते हैं खेत खलिहान।
मेरा देश महान रे साथी, मेरा देश महान!
सीमा पर हैं खड़े बहादुर, सीना अपना ताने,
चोके पर रहती हैं बहनें, पुष्ट हमें बनाने,
खेतों पर हल-बैल लिए, खड़ा है मस्त किसान।
मेरा देश महान रे साथी, मेरा देश महान!
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