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मिलावट का व्याकरण

मेरा मुहल्ला स्वाधीन देश का एक आज़ाद मुहल्ला है। यहाँ सबको सब कुछ करने की आज़ादी है। आज़ादी का सही अर्थ हमारे मोहल्लेवासी ही जानते हैं। यहाँ ठर्रा बेचने वाले निर्भय होकर ठर्रा बेचते हैं और लोगों के ग़म ग़लत करने में अपनी राष्ट्रीय भूमिका का निर्वाह करते हैं। यहाँ तस्कर भयमुक्त होकर लोगों को आयातित वस्तुओं की आपूर्ति करते हैं। चोरी-डकैती के कार्य में संलिप्त रहनेवाले अपराधकर्मी पुलिस तंत्र को चौकस-सतर्क रहने की प्रेरणा देते हैं। रिश्वतजीवी लोग सामाजिक–धार्मिक–सांस्कृतिक संस्थाओं एवं आयोजनों में चंदा देकर अपनी देशभक्ति और देवभक्ति का परचम लहराते हैं। मुहल्लेवालों की धर्म में अटूट आस्था है। इसीलिए इस मुहल्ले में सबसे अधिक मंदिर एवं पूजा स्थल हैं। हमारा मुहल्ला हमारे शहर का गौरव है। यह एक प्रतिभाशाली मुहल्ला है। सूई से लेकर हवाई जहाज़ तक सभी चीज़ों की नक़ल यहाँ मिल जाएगी। नक़ल भी ऐसी कि विशेषज्ञ लोग चक्कर में पड जाएँ। यदि यहाँ के नक़ली दवा निर्माता दवा बनाना छोड़ दें तो देश में दवा का घोर अभाव हो जाए। मुहल्ले के भूषण और अपमिश्रण विद्या विशारद घोंचूमल ने बताया कि औषधि, सौन्दर्य प्रसाधन, तेल, घी आदि की नक़ल बनाने में तो हम लोगों ने महारत हासिल कर ली है। अब हमारे विशेषज्ञ नक़ली टमाटर, नक़ली फूलगोभी, नक़ली आलू, नक़ली प्याज़ इत्यादि सब्ज़ियाँ बनाने के लिए शोध कर रहे हैं। निकट भविष्य में ही हम इसमें सफलता प्राप्त कर लेंगे और सब्ज़ी मंडियों में हमारे नक़ली उत्पादों का एकाधिकार हो जाएगा। 

इस गौरवशाली मुहल्ले के एक कोने पर हमारे परम मित्र घोंचूमल का मकान है। वे इस मुहल्ले के अलंकार हैं। आजकल घोंचूमलजी इस प्रतिभाशाली मुहल्ले में एक “नक़ल प्रशिक्षण और शोध संस्थान“ की स्थापना करने के लिए प्रयासरत हैं। उनका कहना है कि हमारे मुहल्ले में ऐसे प्रतिष्ठान की सख़्त आवश्यकता है जहाँ पर नक़ल जैसे सूक्ष्म एवं तकनीकी विषय के अध्ययन–अध्यापन और अनुसन्धान की व्यवस्था हो। इस संस्थान में दो प्रकार की डिग्री दी जाएगी “डिप्लोमा इन डुप्लीकेसी“ और “बैचलर ऑफ़ डुप्लीकेट टेक्नोलॉजी”। यह विश्व का पहला ऐसा संस्थान होगा जहाँ पर अपमिश्रण तकनीक की बारीक़ियों से संबंधित शिक्षा और शोध की व्यवस्था होगी। नियमित पाठ्यक्रमों के अतिरिक्त इस संस्थान में व्यापारियों और नक़्क़ालों के लिए पुनश्चर्या पाठ्यक्रम अर्थात रिफ़्रेशर कोर्स भी चलाया जाएगा ताकि वे नक़्क़ाली की नवीनतम विधियों को अपनाकर अधिकतम मुनाफ़ा अर्जित कर सकें। यहाँ पर छात्रों और नक़लचियों को चावल–दाल में पत्थर मिलाने की विधि, मसालों में पशुओं के गोबर मिश्रित करने की आधुनिक तकनीक, दूध में डिटर्जेंट मिलाने का कौशल, प्रख्यात ब्रांड के उत्पादों की हू–ब-हू नक़ल बनाने का हुनर आदि विषयों की व्यावहारिक जानकारी दी जाएगी। यहाँ अपमिश्रण के सभी तकनीकी पहलुओं पर शोध और विमर्श किया जाएगा, साथ-साथ नक़ली उत्पादों की बिक्री बढ़ने के लिए विपणन नीति (मार्केटिंग पॉलिसी) पर चर्चा–परिचर्चा आयोजित की जाएगी ताकि जनता की आँखों में ईमानदारीपूर्वक धूल झोंकी जा सके। अपमिश्रण तकनीक को विश्वव्यापी और सर्वजनसुलभ बनाने के लिए सेमिनार, संगोष्ठी और बैठकों का आयोजन किया जाएगा। इस संस्थान के डिग्री और डिप्लोमाधारी युवक विश्व के खुले बाज़ार एवं उदारीकृत व्यवस्था का लाभ उठाते हुए अपने अपमिश्रित उत्पादों से बाज़ार को पाट देंगे। एक अपमिश्रण तकनीक सलाहकार बोर्ड का गठन किया जाएगा। देश के प्रतिष्ठित नक़्क़ालों, कालाबाज़ारियों और मिलावट विशेषज्ञों को इसका सदस्य बनाया जाएगा। ये सदस्य विभिन्न वस्तुओं की नक़ल बनाने एवं मिलावट की आधुनिक प्रविधि के संबंध में बहुमूल्य सुझाव देंगे। हमारा शोध संस्थान ‘डुप्लीकेट चैनल’ नामक एक टीवी चैनल आरम्भ करेगा जिसके माध्यम से अलंकृत शैली और काव्यमय–अनुप्रासयुक्त शब्दावली में विज्ञापन-बालाओं द्वारा उत्पादों का विज्ञापन किया जाएगा। कुछ ही दिनों में विश्व मंडियों में हमारे नक़ली उत्पादों का एकाधिकार हो जाएगा। घोंचूमल जी इस शोध संस्थान को अंतरराष्ट्रीय प्रतिष्ठान का दर्जा दिलाने के लिए भी प्रयास करेंगे। उनका कहना है कि संस्थान के नक़लची छात्र अपनी प्रतिभा से देश ही नहीं, बल्कि विश्व को गौरवान्वित करेंगे और अपमिश्रण विधा को अंतर्राष्ट्रीय पहचान दिलाएँगे।

 इस संस्थान के संरक्षक के रूप में स्वनामधन्य अभियंता वर्मा जी का नाम प्रस्तावित है। वर्माजी हमारे मुहल्ले ही नहीं, देश के भूषण हैं। वे लोकनिर्माण विभाग में अभियंता हैं लेकिन लोकनिर्माण के कार्य में उनका वैरागी मन कम ही लगता है। वर्माजी स्वनिर्माण का काम अधिक तन्मयता, पूर्ण मनोयोग एवं समर्पण भाव से करते हैं। जिस नगर में उनका स्थानांतरण होता है उस नगर में दो-चार महलनुमा मकानों का निर्माण कर वे वास्तुकला का अद्भुत नमूना प्रस्तुत करते हैं। एक बार उन्हें किसी नगर के सौन्दर्यीकरण का दायित्व सौंपा गया। वह नगर तो जैसा का तैसा रहा पर उनके आधे दर्जन मकान सौन्दर्यीकृत हो गए। वे एक सफल अभियंता हैं। सैकड़ों ध्वस्त पुल, हज़ारों धराशायी विद्यालय और असंख्य टूटी-फूटी सड़कें वर्माजी की सफलता की अमर कहानियों का बयान करती हैं। कई बार उनके कुशल निर्देशन में निर्मित भवन और पुल तो उद्घाटन के पहले ही भू-लुंठित हो जाते हैं। घोंचूमल जी ने वर्माजी से संस्थान का संरक्षक बनने के लिए निवेदन किया है। यह तो वर्माजी की महानता है कि अनेक व्यस्तताओं के बावजूद उन्होंने संरक्षक बनकर संस्थान को गौरवान्वित करने के लिए अपनी अनौपचारिक स्वीकृति दे दी है। अब घोंचूमल किसी ऐसे सदस्य की तलाश में भटक रहे हैं जो आँख के अंधे और गाँठ के पूरे हों तथा जो शोध संस्थान के लिए चंदे के रूप में भरपूर खाद-पानी उपलब्ध करा सके। अभी तक उन्हें किसी अपमिश्रण हितैषी महामानव को संरक्षक बनाने में सफलता नहीं मिली है। आपके आसपास कोई ऐसा नक़ल शिरोमणि एवं अपमिश्रण प्रविधितंत्री हो तो घोंचूमल को शीघ्र सूचना दें। उनका पता है – घोंचूमल, नक़्क़ालों का मुहल्ला, नक़ली सिटी, नक़लपुर - 420

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