मृत्यु का अट्टहास
काव्य साहित्य | कविता राजीव डोगरा ’विमल’15 Apr 2020
वक़्त संहार का है
पापियों का विनाश है,
क्यों दुआ करूँ कि
सब रुक जाए,
किये हैं जो दुष्कर्म
मानव भी तो उनका
फल पाए।
जी रहे थे जो
अब तक
अपने वक़्त पर
घमंड कर।
उनको भी तो
मृत्यु का अहसास आए।
ईश्वर के नाम पर
किये जो बुरे कर्म
मरते-मरते उनका भी तो
हिसाब दिया जाए।
अभी तो और
अट्टहास करेगी मृत्यु
वक़्त है अभी भी
मानव तू सुधार जा
नहीं तो महाविनाश
अभी भी जारी है।
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