मुहब्बत
शायरी | नज़्म सरफ़राज़1 Aug 2020 (अंक: 161, प्रथम, 2020 में प्रकाशित)
ख़ामोशियों की गूँज से सहमे
लफ़्ज़ों की आवाज़ है मुहब्बत
दर्द के सीने में सुलगते
शोलों की सेज है मुहब्बत
बेरहम जिस्म से हरदम जूझती
रुह की फ़रियाद है मुहब्बत
हालात के वार से लहुलुहान
ख़्वाहिशों की परवाज़ है मुहब्बत
शब के अँधेरों में रौशन
तन्हा माहताब है मुहब्बत
ज़मीं से फ़लक तक आबाद
कायनात का राज़ है मुहब्बत
साँसों की तकरार से परेशां
ख़ुशियों की हयात है मुहब्बत
सुकूं से लबालब सारे पाक
अहसासों में सरफ़राज़ है मुहब्बत
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