मुझे जंगली कहो
काव्य साहित्य | कविता संजीव बख्शी9 Apr 2012
यहाँ के पक्षी पहाड़ी हैं
यहाँ के गीत
पहाड़ी हैं
यहाँ के लोग
पहाड़ी हैं
जाहिर है यहाँ सब ओर पहाड़ है
पहाड़ ही पहाड़
सब कुछ पहाड़ी है
मुझे जंगली कहो
मन को अच्छा लगेगा
मेरे आसपास के लोगों को कहो
’जंगली‘
ठिठको मत
मेरी कविताओं को
मेरी बातों को जंगली कहो
आँखें बंद कर लो
अब कहो ।
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