मुझे तुम से मुहब्बत है
शायरी | ग़ज़ल पीताम्बर दास सराफ 'रंक'13 Jan 2018
(म फा ई लुन म फा ई लुन)
मुझे तुम से मुहब्बत है
तहे दिल से मुहब्बत है
तड़पता है,मचलता है
अजब सी ये मुहब्बत है
तुझे देखूँ, तुझे चाहूँ
मुझे लग के मुहब्बत है
गुलाबों सी महकती हो
तुझे गुल से मुहब्बत है
कहाँ तुझको छुपाऊॅ॓ मैं
तुझे सबसे मुहब्बत है
बला की ख़ूबसूरत हो
धरा माँ से मुहब्बत है
न कर ज़ुल्मोसितम ऐसे
तुफ़ानों से मुहब्बत है
मेरे तो होश उड़ जाते
तुझे रब से मुहब्बत है
रहम कर "रंक"पर जानम
मुझे ख़ुद से मुहब्बत है
अन्य संबंधित लेख/रचनाएं
टिप्पणियाँ
कृपया टिप्पणी दें
लेखक की अन्य कृतियाँ
ग़ज़ल
गीतिका
विडियो
उपलब्ध नहीं
ऑडियो
उपलब्ध नहीं