मुश्किल
काव्य साहित्य | कविता कंचन अपराजिता15 Jul 2019
एक प्रश्न
ज़िन्दगी का,
अतीत से आ गया
फिर मेरी मेज़ पर,
उसके जवाब ढूँढ़ने में
मैं कल भी उलझ जाती थी,
मैं आज फिर उलझ गई।
क्यों
कुछ सवाल
इतने जटिल होते हैं
कि उन्हें
अनुत्तरित ही
छोड़ना पड़ता है।
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