नभ के तारे
बाल साहित्य | बाल साहित्य कविता डॉ. प्रमोद सोनवानी 'पुष्प'15 Apr 2019
नभ में देखो प्यारे-प्यारे,
चम-चम चमक रहे हैं तारे।
अठखेलियाँ करते हैं हरदम,
नटखट हैं सारे के सारे॥1॥
जानें क्यों डरते सूरज से,
छिप-छिपकर दिन में ये रहते।
सुख-दुःख अपना सह लेते हैं,
नहीं किसी से कुछ भी कहते॥2॥
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