नहीं दूध में
बाल साहित्य | बाल साहित्य कविता डॉ. जियाउर रहमान जाफरी1 Dec 2020 (अंक: 170, प्रथम, 2020 में प्रकाशित)
बोली माँ से नन्हीं शालू
रख लो वापस पूरी आलू
लो खिचड़ी भी तुम ही खालो
रखो यहाँ मत दाल उठा लो
सेब न मुझको कुछ भाता है
ये सब कौन है जो खाता है
बनो न मेरी नानी मम्मी
ले जाओ बिरयानी मम्मी
कहाँ पुलाव मैं खा पाती हूँ
बस भूखी ही रह जाती हूँ
सुनकर बोली मम्मी प्यारी
ग़लत है बिटिया बात तुम्हारी
बच्चे सब कुछ जो खाते हैं
वो सेहतमंद रह पाते हैं
बड़ी हो तुम ये बात पता है
नहीं दूध में सारी ग़िज़ा है
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