नई पृथ्वी
हास्य-व्यंग्य | हास्य-व्यंग्य कविता सुनील चौधरी1 Mar 2019
वे
मेरे पास आए
उन्होंने
नई पृथ्वी बसाई थी
बोले -
बहुत ही प्रेम है
वहाँ पर।
बहुत ही चैन है
वहाँ पर।
ख़ुशियाँ ही ख़ुशियाँ हैं
वहाँ पर।
मैंने भी कह दिया-
जाओ
लौट जाओ
अपनी पृथ्वी पर
जाकर बना दो
मंदिर, मस्जिद ,चर्च
और
गुरुद्वारे
फिर
लड़ते रहना
हर दिन
हर रात
हर सप्ताह
हर महीने
और जीवन भर
इतना सुन
वे चले गए
और
आज तक
नहीं लौटे।
डरता हूँ
कहीं उन्होंने
सच में तो
मेरी बात
नहीं मानी थी।
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