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नई सुबह - समीक्षा - अनोखी लाल कोठारी

कृति : नई सुबह
लेखिका : रचना गौड़ ’भारती’

हाड़ौती अंचल की रचनाकार श्रीमती रचना गौड़ "भारती" की प्रथम काव्य संकलन कृति "नई सुबह" है। जिसका ताना-बाना भाव व विचार रूपी कोमल कठोर तंतुओं से निर्मित है। "नई सुबह" यथार्थ में साहित्य क्षितिज पर लालिमा बिखराती उषा का अवतरण ही है। इस काव्य संग्रह की 74 कविताओं में से लगभग 15 कविताओं के शीर्षक ही प्रकाश से संबंधित हैं जो आशावाद और जीवन की स्वस्थ स्थिति का प्रतीक है। कवयित्री लगभग हर कविता में प्रकाश की ओर आकर्षित हुई है-

"रोशनी, रोशनी होती है, चाँद की हो या सूरज की।
तपस्वियों की ओज से ही कुछ रश्मियाँ उधार ले लो।।"

कवयित्री ने "अँधेरा" नामक कविता में अँधेरे से भी प्रेम व्यक्त किया है परन्तु वहाँ अँधेरा भी निराशा का नहीं, जीवन को शांति देने का प्रतीक है। माध्यम है।

इस काव्य संकलन की प्रथम कविता में स्त्री के प्रबल और सशक्त आत्मविश्वास की कविता है परन्तु इसमें पाश्चात्य नारीवाद की बू भी नहीं है। भारतीयता से अनुमोदित, नारी के महत्व को स्थापित करने वाला इसमें जो तत्व है वह इस प्रकार है-

"लौह पुरुष के इस समाज में, हर कदम पर फौलादी स्त्री खड़ी है"

कवयित्री ने अपना परिचय किसी स्वतंत्र नारी के रूप में न देकर एक साहित्यकार के रूप में देने में ही गौरव का अनुभव किया है।

इनकी रचनाएँ प्राकृतिक सौंदर्य एवं समस्याओं पर आधारित हैं। कविताओं में ऋतु, सावन, भीगे-भीगे पत्थर, नदी, व्यथा या श्राप, निरक्षर मानव, गुनगुनाती धूप, सूर्य देव, सूरज की लालिमा को देखो, नया सवेरा, हरी-पीली पत्तियाँ, मुट्ठी में आकाश, परमार्थ, धूप, एक किरण, सांझ, कैक्टस, स्थिति और लहरिया आदि कविताओं में प्राकृतिक प्रेम सौंदर्य है जो न केवल प्रकृति से तादात्म्य स्थापित करती है अपितु जीवन, धर्म, मानव धर्म का संदेशवाहक भी है। प्रकृति मनुष्य की प्रगति गामिनी भी है तो उसके कदमों की बेतरतीब, असंयमित गति को थामने और न थमने पर विनाश की कारक भी है। अतः प्रकृति से छेड़छाड़ नहीं करें इसको भी संकेतित करती है भारती की काव्य संवेदना।

कवि/कवयित्री तो शब्द शिल्पी होता है। शिल्प है अथवा शब्द शिल्प ही उसकी एकमात्र साधना है और इस साधना में सफल सि ही सच्ची कवयित्री है। इसी के अनुरूप ही श्रीमती रचना कवयित्री ने सुन्दरतम रचनाएँ कर प्रत्येक कविता पाठक की समझ की परीक्षा लेती है। ऐसी परीक्षा जिसमें पाठक स्वयं ही परिक्षार्थी और स्वयं ही परीक्षक है। श्रीमती रचना गौड़ भारती रचनाधर्मी परिवार का सुविज्ञ नाम है। अपराजय नारी के पौरुषीय सामर्थ्य का साकार व्यक्तित्व व कृतित्व इस "नई सुबह" काव्य संकलन की स्वर्णिम रश्मियों के साथ निश्चित से अपने करल के प्रकाशनों की ओर गतिमान हो रही है तथा नैतिक मूल्यों से सम्बद्ध मानवीय दृष्टिकोण इस काव्य संकलन के केन्द्र में है। आपके रचनात्मक कार्य निरन्तर, अविरल प्रगतिपथ का अवलम्बन कर लक्ष्य प्राप्ति में निमग्न रहें। यह काव्य संकलन असंख्य पाठकों के दिलो पर पड़े अंधकार को तथा निराशा के आवरण को जलाकर आलोक एवं आशाओं से अवश्य समृद्ध करेगी। इसी मंगल कामना के साथ कवयित्री रचना गौड़ भारती को हार्दिक बधाई और अभिनन्दन करता हूँ।

अनोखी लाल कोठारी
साहित्यकार, चिंतक एवं समीक्षक

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