नयन बावरे गए आज भर
काव्य साहित्य | कविता दीपा जोशी3 May 2012
नयन बावरे गए आज भर
पल में छलकी
गागर गहरी
पल में बेसुध
भए सजल
नयन बावरे गए आज भर
कभी सकुचे
पलकों के लघु तन
कभी ताके
असीम गगन
नयन बावरे गए आज भर
तड़ित घन के
प्रज्ज्वलित अंग सा
सिहर उठे
व्याकुल तन
नयन बावरे गए आज भर
कामनाओं के
कम्पन से
डोल रहा
एकाकी मन
नयन बावरे गए आज भर
पिया पिया के
मुखरित स्वर से
चहुँ दिशाएँ
गूँजे एक संग
अन्य संबंधित लेख/रचनाएं
टिप्पणियाँ
कृपया टिप्पणी दें
लेखक की अन्य कृतियाँ
कविता
हास्य-व्यंग्य कविता
विडियो
उपलब्ध नहीं
ऑडियो
उपलब्ध नहीं