अन्तरजाल पर
साहित्य-प्रेमियों की विश्राम-स्थली

काव्य साहित्य

कविता गीत-नवगीत गीतिका दोहे कविता - मुक्तक कविता - क्षणिका कवित-माहिया लोक गीत कविता - हाइकु कविता-तांका कविता-चोका कविता-सेदोका महाकाव्य चम्पू-काव्य खण्डकाव्य

शायरी

ग़ज़ल नज़्म रुबाई क़ता सजल

कथा-साहित्य

कहानी लघुकथा सांस्कृतिक कथा लोक कथा उपन्यास

हास्य/व्यंग्य

हास्य व्यंग्य आलेख-कहानी हास्य व्यंग्य कविता

अनूदित साहित्य

अनूदित कविता अनूदित कहानी अनूदित लघुकथा अनूदित लोक कथा अनूदित आलेख

आलेख

साहित्यिक सांस्कृतिक आलेख सामाजिक चिन्तन शोध निबन्ध ललित निबन्ध हाइबुन काम की बात ऐतिहासिक सिनेमा और साहित्य सिनेमा चर्चा ललित कला स्वास्थ्य

सम्पादकीय

सम्पादकीय सूची

संस्मरण

आप-बीती स्मृति लेख व्यक्ति चित्र आत्मकथा वृत्तांत डायरी बच्चों के मुख से यात्रा संस्मरण रिपोर्ताज

बाल साहित्य

बाल साहित्य कविता बाल साहित्य कहानी बाल साहित्य लघुकथा बाल साहित्य नाटक बाल साहित्य आलेख किशोर साहित्य कविता किशोर साहित्य कहानी किशोर साहित्य लघुकथा किशोर हास्य व्यंग्य आलेख-कहानी किशोर हास्य व्यंग्य कविता किशोर साहित्य नाटक किशोर साहित्य आलेख

नाट्य-साहित्य

नाटक एकांकी काव्य नाटक प्रहसन

अन्य

रेखाचित्र पत्र कार्यक्रम रिपोर्ट सम्पादकीय प्रतिक्रिया पर्यटन

साक्षात्कार

बात-चीत

समीक्षा

पुस्तक समीक्षा पुस्तक चर्चा रचना समीक्षा
कॉपीराइट © साहित्य कुंज. सर्वाधिकार सुरक्षित

नये अल्फ़ाज़

1.
काग़ज़ के फूलों पर हम एतबार नहीं करेंगे
जिस्म का सौदा जब तक पक्का ना हो, प्यार नहीं करेंगे।
और जो कहते हैं एक दिन भी ना रह पाएँगे मेरे बग़ैर
हमसे बेहतर हो कोई तो एक दिन भी इंतज़ार नहीं करेंगे।
2.
ज़ाहिर है कि कभी
ज़ाहिर ना हो पाएगी इबादत मेरी
ये और बात है कि
वो खुदा बन गये मेरे इंतज़ार में
3.
ना मालूम ‌वक़्त का तक़ाज़ा क्या था
दिल में छुपा वो इरादा क्या था
हमें झूठी क़समों की दुहाई देने वाले
तुझको याद भी है कि वादा क्या था
4.
मुझे देख वो कभी इधर गये कभी उधर गये
अभी तो दिल में बैठे थे जाने किधर गये
बदलती हवाओं का रुख़ पहचान लिया उसने
कभी बदनाम थे अब शायद सुधर गये
5.
आरज़ू है जुस्तजू है इश्क़ है मह-जबीं है
फिर भी लगता है कहीं कुछ तो कमी है
धड़कने सुनाई नहीं देती रिश्तों के आशियानों में
ख़्वाहिशों की दीवारों पर ज़रूरतों की नमी है

अन्य संबंधित लेख/रचनाएं

राज़दान राज़ - कतआ - 01
|

बुढ़ापे में बुढ़ापे के दिनों को कोसने वालो…

टिप्पणियाँ

कृपया टिप्पणी दें

लेखक की अन्य कृतियाँ

कविता

क़ता

नज़्म

विडियो

उपलब्ध नहीं

ऑडियो

उपलब्ध नहीं