अन्तरजाल पर
साहित्य-प्रेमियों की विश्राम-स्थली

काव्य साहित्य

कविता गीत-नवगीत गीतिका दोहे कविता - मुक्तक कविता - क्षणिका कवित-माहिया लोक गीत कविता - हाइकु कविता-तांका कविता-चोका कविता-सेदोका महाकाव्य चम्पू-काव्य खण्डकाव्य

शायरी

ग़ज़ल नज़्म रुबाई क़ता

कथा-साहित्य

कहानी लघुकथा सांस्कृतिक कथा लोक कथा उपन्यास

हास्य/व्यंग्य

हास्य व्यंग्य आलेख-कहानी हास्य व्यंग्य कविता

अनूदित साहित्य

अनूदित कविता अनूदित कहानी अनूदित लघुकथा अनूदित लोक कथा अनूदित आलेख

आलेख

साहित्यिक सांस्कृतिक आलेख सामाजिक चिन्तन शोध निबन्ध ललित निबन्ध हाइबुन काम की बात ऐतिहासिक सिनेमा और साहित्य सिनेमा चर्चा ललित कला स्वास्थ्य

सम्पादकीय

सम्पादकीय सूची

संस्मरण

आप-बीती स्मृति लेख व्यक्ति चित्र आत्मकथा वृत्तांत डायरी बच्चों के मुख से यात्रा संस्मरण रिपोर्ताज

बाल साहित्य

बाल साहित्य कविता बाल साहित्य कहानी बाल साहित्य लघुकथा बाल साहित्य नाटक बाल साहित्य आलेख किशोर साहित्य कविता किशोर साहित्य कहानी किशोर साहित्य लघुकथा किशोर हास्य व्यंग्य आलेख-कहानी किशोर हास्य व्यंग्य कविता किशोर साहित्य नाटक किशोर साहित्य आलेख

नाट्य-साहित्य

नाटक एकांकी काव्य नाटक प्रहसन

अन्य

रेखाचित्र पत्र कार्यक्रम रिपोर्ट सम्पादकीय प्रतिक्रिया पर्यटन

साक्षात्कार

बात-चीत

समीक्षा

पुस्तक समीक्षा पुस्तक चर्चा रचना समीक्षा
कॉपीराइट © साहित्य कुंज. सर्वाधिकार सुरक्षित

निजत्व

रिश्तों की बेड़ियाँ 
अगर काट सकती
तो शायद हर नाम काट देती
पंख लगा कर अगर 
मैं उड़ सकती
तो शायद सबसे दूर 
मुक्त आकाश में विचरती

 

सपने देखना अगर
 मैं छोड़ पाती
तो शायद यथार्थ के 
कटु सत्यों का सामना कर पाती
अपनी हर अभिलाषा को 
अगर कैद कर पाती
तो शायद एक ही जगह 
स्थिर रह कर जी पाती

 

पर क्या करूँ
यह "अगर" - "शायद" 
तक ही सीमित है

 

मैं चाह कर भी रिश्तों के बाँध,
सपनों की नाव
अभिलाषाओं का 
बहाव नहीं छोड़ पाती
पता नहीं क्यों 
यथार्थ में रह कर भी
मैं अपने पंख 
नहीं काट पाती
हर कटुता को 
पहचान कर भी 
मैं चाहत और आशा के 
दीप नहीं बुझाती
आकाश दूर है पर
फिर भी उसमें विचरने की
राह मैं दिन रात खोजती
सभी दुखों को पहचान कर भी
मैं ज़्यादा देर तक 
उदास नहीं रह पाती
मैं हर निगाह में प्यार और 
अपनापन ही झाँकती
मैं चाह कर भी 
वैसी नहीं हो पाती 
जैसे अकसर हो जाते हैं लोग।

अन्य संबंधित लेख/रचनाएं

'जो काल्पनिक कहानी नहीं है' की कथा
|

किंतु यह किसी काल्पनिक कहानी की कथा नहीं…

14 नवंबर बाल दिवस 
|

14 नवंबर आज के दिन। बाल दिवस की स्नेहिल…

16 का अंक
|

16 संस्कार बन्द हो कर रह गये वेद-पुराणों…

16 शृंगार
|

हम मित्रों ने मुफ़्त का ब्यूटी-पार्लर खोलने…

टिप्पणियाँ

कृपया टिप्पणी दें

लेखक की अन्य कृतियाँ

कविता

स्मृति लेख

विडियो

उपलब्ध नहीं

ऑडियो

उपलब्ध नहीं