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नियति

वह लोगों के घर में साफ़-सफाई का काम करती थी। पति दिन भर मज़दूरी करता, शाम को नशे में धुत घर आता .. अपनी मनमानी करता ..

कभी उसे बिछौने की तरह सलवटों में बदलकर तो कभी रुई की तरह धुनकर ... वह मन ही मन उससे घृणा करती थी। करवा चौथ आती तो सास जबरन उसे सुहाग जोड़ा पहनने को कहती, सज-सँवरकर व्रत करके पति की लंबी आयु की प्रार्थना करने को कहती .. वह यह सब करना न चाहती पर उससे जबरन करवाया जाता।

एक दिन उसका शराबी पति ट्रक के नीचे आकर मर गया। उसे मानो नरक से मुक्ति मिली। आज वह खूब सजना-सँवारना चाहती थी, हँसना खिलखिलाना चाहती थी पर उसके तन पर लपेट दिया गया सफ़ेद लिबास और होंठो पर जड़ दी गई ख़ामोशी.. चुप्पी ..

वाह री नियति ......!

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