ओ! चित्रकार
काव्य साहित्य | गीत-नवगीत किरण राजपुरोहित5 Mar 2012
रंगों संग चलने वाले
आकृतियों में ढलने वाले
भावों के साकार
ओ! चित्रकार
सृष्टि से रंग चुराकर
मौन को कर उजागर
रचते हो संसार
ओ! चित्रकार
खिल उठते हैं वीराने
जी जाते सोये तराने
बजते सुर झंकार
ओ! चित्रकार
रंगमय हो जाते रसहीन
सवाक हो जोते भावभीन
रीते को देते प्रकार
ओ! चित्रकार
अकिंचन का उत्साह बढ़ाया
नवजीवन नव स्नेह पाया
कैसे प्रकट करूँ आभार
ओ! चित्रकार
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