पास कोई नहीं
काव्य साहित्य | कविता रश्मि शर्मा15 May 2019
दुनिया के शोर से
ऊबा हुआ मन
एकांत तलाशता है
जब उस एकांत का
शोर भी
बहुत तीखा हो जाता है
तो आवाज़ लगाता है
उसे
जिससे उम्मीद हो कि
इन सब से परे ले जाएगा
मगर
दुनिया अपने मन के जैसी
नहीं होती
आपको दुनिया के साथ-साथ
ख़ुद से भी लड़ना होता है
क्योंकि
ज़रूरत के वक़्त आप
कभी किसी को पास नहीं पाएँगे।
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