पास तुम्हें जो पाऊँ
काव्य साहित्य | कविता-चोका कमला निखुर्पा15 Oct 2019
आओ न तुम
सूरज की तरह
किरण-ताज
पहनकर आज
पूरब-द्वारे
राह तकूँ तुम्हारी
आओ न तुम
रोज चाँद की तरह
होऊँ मगन
माँग- सितारे सजा
दुल्हन बनूँ
लाज से शरमाऊँ
आओ न तुम
बदरा की तरह
सावन बन
मैं रिमझिम गाऊँ
भीजे जो अंग
पुरवैया के संग
बहती जाऊँ
धक् से रह जाऊँ
पास तुम्हें जो पाऊँ।
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प्रीति अग्रवाल 2022/01/15 03:53 AM
वाह! मनभावन चौका!