पहन के कोट पेंट
हास्य-व्यंग्य | हास्य-व्यंग्य कविता अभिषेक कुमार 'अम्बर'1 Jun 2017
पहन के कोट पेंट तन पे लगा के सेंट,
बनकर बाबू सा में चला ससुराल को।
आकर के मेरे पास बोलने लगी ये सास,
नज़र न लग जाये कहीं मेरे लाल को।
बिलकुल हीरो से तुम लगते हो जीजा जी,
बोलने लगी सालियाँ खींच मेरे गाल को।
आख़िर है क्या राज़ बदले इसके मिज़ाज,
लग गए है बड़े भाग इस कंगाल को।
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