पर्यावरण बचाओ
काव्य साहित्य | दोहे महेन्द्र देवांगन माटी15 Jul 2020 (अंक: 160, द्वितीय, 2020 में प्रकाशित)
(दोहा छंद)
पेड़ लगाओ मिल सभी, देते हैं जी छाँव।
शुद्ध हवा सबको मिले, पर्यावरण बचाव॥
पर्यावरण विनाश से, मरते हैं सब लोग।
कहीं बाढ़ सूखा कहीं, जीव रहे हैं भोग॥
जब जब काटे वृक्ष को, मिलती उसकी आह।
भुगत रहे प्राणी सभी, ढूँढ रहे हैं राह॥
सड़क बनाते लोग हैं, वृक्ष रहे हैं काट।
पर्यावरण विनाश कर, देख रहे हैं बाट॥
पेड़ों से मिलती हवा, श्वासों का आधार।
कट जाये यदि पेड़ तो, टूटे जीवन तार॥
माटी में मिलते सभी, सोना चाँदी हीर।
पर्यावरण बचाय के, समझो माटी पीर॥
दो दिन की है ज़िंदगी, समझो इसका मोल।
माटी बोले प्रेम से, सबसे मीठे बोल॥
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