पेड़
काव्य साहित्य | कविता सतीश सिंह15 Oct 2020 (अंक: 167, द्वितीय, 2020 में प्रकाशित)
फूलों को मत तोड़ो
छिन जायेगी मेरी ममता
हरियाली को मत हरो
हो जायेंगे मेरे चेहरे स्याह
मेरी बाँहों को मत काटो
बन जाऊँगा मैं अपंग
कहने दो बाबा को
नीम तले कथा-कहानी
झूलने दो अमराई में
बच्चों को झूला
मत छाँटो मेरे सपने
मेरी ख़ुशियाँ लुट जायेंगी।
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