अन्तरजाल पर
साहित्य-प्रेमियों की विश्राम-स्थली

काव्य साहित्य

कविता गीत-नवगीत गीतिका दोहे कविता - मुक्तक कविता - क्षणिका कवित-माहिया लोक गीत कविता - हाइकु कविता-तांका कविता-चोका कविता-सेदोका महाकाव्य चम्पू-काव्य खण्डकाव्य

शायरी

ग़ज़ल नज़्म रुबाई क़ता सजल

कथा-साहित्य

कहानी लघुकथा सांस्कृतिक कथा लोक कथा उपन्यास

हास्य/व्यंग्य

हास्य व्यंग्य आलेख-कहानी हास्य व्यंग्य कविता

अनूदित साहित्य

अनूदित कविता अनूदित कहानी अनूदित लघुकथा अनूदित लोक कथा अनूदित आलेख

आलेख

साहित्यिक सांस्कृतिक आलेख सामाजिक चिन्तन शोध निबन्ध ललित निबन्ध हाइबुन काम की बात ऐतिहासिक सिनेमा और साहित्य सिनेमा चर्चा ललित कला स्वास्थ्य

सम्पादकीय

सम्पादकीय सूची

संस्मरण

आप-बीती स्मृति लेख व्यक्ति चित्र आत्मकथा वृत्तांत डायरी बच्चों के मुख से यात्रा संस्मरण रिपोर्ताज

बाल साहित्य

बाल साहित्य कविता बाल साहित्य कहानी बाल साहित्य लघुकथा बाल साहित्य नाटक बाल साहित्य आलेख किशोर साहित्य कविता किशोर साहित्य कहानी किशोर साहित्य लघुकथा किशोर हास्य व्यंग्य आलेख-कहानी किशोर हास्य व्यंग्य कविता किशोर साहित्य नाटक किशोर साहित्य आलेख

नाट्य-साहित्य

नाटक एकांकी काव्य नाटक प्रहसन

अन्य

रेखाचित्र पत्र कार्यक्रम रिपोर्ट सम्पादकीय प्रतिक्रिया पर्यटन

साक्षात्कार

बात-चीत

समीक्षा

पुस्तक समीक्षा पुस्तक चर्चा रचना समीक्षा
कॉपीराइट © साहित्य कुंज. सर्वाधिकार सुरक्षित

पीड़ा को विश्व का साम्राज्य दो

जाओ हवाओ देश प्रिय के, 
विरह के गीत गाओ तुम,
जाओ घटाओ जाओ जाओ, 
विरहाग्नि न भड़काओ तुम।
 
इस विरह के ताप से 
जर-जर के मैं ठठरी भई,
श्वास यूँ तो चल रही पर 
श्वास अनगिन चुक गई।
 
झर रहे हैं अश्रु आँखों से 
उन्हें बतलाओ तुम॥
 
दिन-रात में अन्तर नहीं 
इक से मुझे दोऊ लगे,
दिन में अँधेरी रात है 
और रात में तारे गिने।
 
मेघों ने पी चाँदनी ली, 
चाँद को बतलाओ तुम॥
 
गीली-सुलगती लकड़ी सी 
यह रात भी जल गई,
रात से सुबह हुई फिर 
शाम में वो ढल गई। 
 
जल रहा है तन-बदन प्रिय को 
जरा बतलाओ तुम॥
 
इस विरह की अग्नि में 
देखो दिवाकर जल गया,
चांद झुलसा, श्वेत बादल
आज काला पड़ गया।
 
कर रहा पीऊ-पीऊ पपीहा 
स्वाति-घन बरसाओ तुम॥
 
इस विरह की पीड़ा को 
तुम विश्व का साम्राज्य दो,
सब जुड़े बस दर्द से 
तब मानव का कल्याण हो।
 
साथ सब रोएँ-हँसे सबको 
जरा समझाओ तुम॥

अन्य संबंधित लेख/रचनाएं

अंतहीन टकराहट
|

इस संवेदनशील शहर में, रहना किंतु सँभलकर…

अंतिम गीत लिखे जाता हूँ
|

विदित नहीं लेखनी उँगलियों का कल साथ निभाये…

अखिल विश्व के स्वामी राम
|

  अखिल विश्व के स्वामी राम भक्तों के…

अच्युत माधव
|

अच्युत माधव कृष्ण कन्हैया कैसे तुमको याद…

टिप्पणियाँ

कृपया टिप्पणी दें

लेखक की अन्य कृतियाँ

लघुकथा

कहानी

गीत-नवगीत

कविता

कविता - क्षणिका

कविता - हाइकु

कविता-ताँका

विडियो

उपलब्ध नहीं

ऑडियो

उपलब्ध नहीं