फिर भी मामा कहते हैं
बाल साहित्य | बाल साहित्य कविता डॉ. प्रमोद सोनवानी 'पुष्प'1 Sep 2019
दिन में तूम डूब जाते हो।
रात को छटा दिखाते हो॥
हर-पल हँसते रहते हो।
चंदा मामा कहलाते हो॥
हम बच्चे भोले-भाले।
याद तुम्हें नित करते हैं॥
दूर सदा हमसे रहते हो।
फिर भी मामा कहते हैं॥
अन्य संबंधित लेख/रचनाएं
टिप्पणियाँ
कृपया टिप्पणी दें
लेखक की अन्य कृतियाँ
स्मृति लेख
बाल साहित्य कविता
पुस्तक चर्चा
विडियो
उपलब्ध नहीं
ऑडियो
उपलब्ध नहीं