फूल का जीवन
काव्य साहित्य | कविता डॉ. अज़हर काज़मी20 Feb 2016
फूल का डाली पर मुरझाना, ही तो उसका जीवन है
फूल का डाली पर मुरझाना .....
कच्ची कोंपल से निकला है,
जीवन रस से भरा भरा
असीमित आशाओं से ही,
सारा जग है हरा हरा
पर होनी की नियमित्ता से,
हृदय भी है कुछ डरा डरा
ऋतुचक्र का साथ निभाना, ही तो उसका जीवन है
फूल का डाली पर मुरझाना .....
व्याकुल कुंज भ्रमर का चुंबन,
पागल प्रीत से भरा भरा
अलसाई बाला सी डाली,
का आलिंगन हरा हरा
निष्ठुर प्रेम की गाथाओं से,
कोमल उर है डरा डरा
कालचक्र को शीश नवाना, ही तो उसका जीवन है
फूल का डाली पर मुरझाना .....
कल कल करती धारा का है,
स्वर संगीत से भरा भरा
उद्दानों की मल्लिका का,
आंचल फैला हरा हरा
उद्वेलित पंछी का कृंदन,
सुन कर मन है डरा डरा
जीवन चकृ की लय पर गाना, ही तो उसका जीवन है
फूल का डाली पर मुरझाना .....
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