फूल खिला करते हैं कैसे?
बाल साहित्य | बाल साहित्य कविता आकांक्षा शर्मा1 Aug 2019
फूल खिला करते हैं कैसे
चिड़िया चीं-चीं क्यों करती है?
झरने क्यों कल-कल करते हैं?
नदियाँ क्यों अविरल बहती हैं?
हिरन कुलाचें क्यों भरते हैं?
मेघों को रोना क्यों आता?
बादल रिमझिम क्यों करते हैं?
कोयल मीठी वाणी से
क्यों सबका मन हर लेती है?
बच्चे अपनी मुस्कानों से
कलियों को क्यों शर्माते हैं?
संध्या की लालिमा सबको
क्यों घर की याद दिलाती है?
सूरज की उजली किरणें
क्यों नई ताज़गी लाती हैं?
सागर की चंचल लहरें
क्यों इतना शोर मचाती हैं?
ख़त लिख देना देर न करना
इन प्रश्नों के उत्तर में
पवन के हाथों भेज रही हूँ
यह चिट्ठी उस दुनिया में
जहाँ की बातें माँ से सुनकर
लगती हैं सपनों जैसी।
लगती है परियों जैसी।
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