प्रतिरोध
काव्य साहित्य | कविता माधव नागदा17 Apr 2017
चिड़िया
पहचानती है अपना दुश्मन
चाहे वह
बिल्ली हो या काला भुजंग
जिस चोंच से
बच्चों को चुगाती है चुग्गा
या फिर
किसी लुभावने मौसम में
गुदगुदाती है चिड़े की पीठ
उसी चोंच को
बनाना जानती है हथियार
जानते होते हुए भी
कि
घोंसले में दुबके बच्चे
पंख उगते ही
उड़ जायेंगे फुर्र से
अनजानी दिशाओं में,
आता देख
भयंकर विषधर
टूट पड़ती है उस पर,
जान जोख़िम में डाल
दर्ज कराती है प्रतिरोध अपना
अंतिम दम तक
भविष्य में नहीं
वर्तमान में जीती है चिड़िया
इसीलिए हारकर भी
हर बार जीतती है चिड़िया
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