राष्ट्रभाषा गान
काव्य साहित्य | कविता आचार्य संदीप कुमार त्यागी ’दीप’6 Sep 2008
जय जय हृदय हुलासिनी हिंदी
विश्वविकासिनीभाषा
अभिलाषा अखिल राष्ट्र भारत की
नित्यनवलपरिभाषा
कल्याणि! वाणी नव आशा
जननि! जन्मभूभाषा।
तव स्वाध्याय से जागें
सब उन्नति पथ लागें
गायें तव गुणगाथा
जन गण मन उल्लासिनीहिंदी
सरल सुभाषिणी भाषा
जय हे! जय हे! जय हे!
जय जय जय जय हे!!
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