रात गए फोन
काव्य साहित्य | कविता लक्ष्मी शंकर वाजपेयी16 Aug 2008
इतनी रात गए किसने किया होगा फोन
जब तक गहरी नींद में पहुँचा बिस्तर छोड़
रिसीवर तक
कट गया फोन, छोड़ कर कई सवाल
कहीं अम्मा की तबियत तो नहीं बिगड़ी अचानक
भाई साहब ने भी नया नया खरीदा है स्कूटर
फिर झगड़ा तो नहीं हुआ भतीजे के हॉस्टल में,
छोटी बहन की ससुराल वालों ने किया कुछ नया बखेड़ा
कैसी कैसी अशुभ कल्पनाएँ आती हैं बार बार
खीज कर कहती है पत्नी
रांग नंबर भी हो सकता है कोई
’ईश्वर करे ऐसा ही हो‘ सोचते हुए
करता हूँ सोने की कोशिश
लेकिन गूँज रहा है एक ही सवाल
कि इतनी रात गए किसने किया होगा फोन !
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