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रिटायरमेंट

जीवन के साठ बसंत पूरा करने के बाद आज मिस्टर शर्मा स्वयं को सभी ज़िम्मेदारियों से मुक्त मान रहे थे। आज वे पैंतीस साल नौकरी करने के बाद अपने ऑफिस को अलविदा कहने जा रहे थे। उन्होंने इस अवसर पर अपने घर में एक पार्टी का आयोजन किया था। इस पार्टी में उनके ऑफिस के सहकर्मी, रिश्तेदार और पास-पड़ोस के सभी लोग शामिल थे। यह पार्टी किसी विवाह समारोह से कम न थी। सभी मिस्टर शर्मा और मिसेज़ शर्मा की ख़ूब तारीफ़ कर रहे थे, साथ ही उनके तीनों बेटों-बहुओं के व्यवहार की भी प्रशंसा कर रहे थे। आज कई सालों के बाद मिस्टर शर्मा और मिसेज़ शर्मा आपस में ख़ूब हँस-हँस कर बातें कर रहे थे, क्योंकि तीनों बच्चों के लालन-पालन में वे इतना व्यस्त हो गए थे कि एक घर में रहकर भी एक-दूसरे की भावनाओं को समझने का वक़्त न निकाल सके। वे अपनी पत्नी से बोले- "‘हम अपने बच्चों के प्रति माँ-बाप का फ़र्ज़ अदा कर चुके हैं। आज से हम आज़ाद हैं और अब अपनी मर्जी से जियेंगे।" तभी उनके बॉस आए और बोले- "मिस्टर शर्मा आप बहुत ईमानदार, मेहनती और संकल्पी हो, आप हम सब के लिए भी एक मिसाल हो। आपने अपने तीनों बच्चों को इतनी बढ़िया तालीम दिलवाई कि वे आज ऊँचे पदों पर काम कर रहे हैं।"

वे बोले- "नहीं सर, यह प्रेरणा तो मुझे आप लोगों के साथ काम करके मिली है।"

एक सप्ताह के बाद मिस्टर शर्मा की सबसे बड़ी बहू आई और बोली- "पापा, मुझे आप से कुछ कहना है क्योंकि पिंकी के पापा का आपसे कहने का साहस नहीं हो रहा है।"

उन्होंने पूछा- "कहो बेटी, ऐसी क्या बात है?"

"पापा, आप तो जानते ही हो कि पिंकी भी अब दसवीं क्लास में पढ़ रही है और उसका बोर्ड एग्ज़ाम है। इतने छोटे घर में उसकी स्टडी में प्रॉब्लम आएगी। पिंकी के पापा को ऑफिस की ओर से फ़्लैट अलॉट हो चुका है, इसलिए हमने वहाँ जाने का मन बना लिया है।"

मिस्टर शर्मा बोले- "इसमें घबराने की क्या बात है, हमें तो ख़ुशी है कि तुम अपनी ज़िम्मेदारी समझने लगे हो।"

कुछ दिन बाद उनका मँझला बेटा आया और बोला- "मम्मी-पापा आपके लिए एक गुड न्यूज़ है। मुझे अपने ऑफिस की ओर से दो साल के लिए अमेरिका जाने का ऑफ़र मिला है और मैं यह चांस खोना नहीं चाहता हूँ, लेकिन आप जानते हैं कि मैं खाने-पीने के मामले में कितना लापरवाह हूँ। मैं सुमित्रा और बच्चों को भी साथ ले जाना चाहता हूँ, बस आपकी परमीशन और आशीर्वाद चाहिए।"

मिस्टर शर्मा बोले- "हमारा आशीर्वाद सदा तुम्हारे साथ है, जहाँ जाओ, ख़ुश रहो।"

एक दिन उनका सबसे छोटा बेटा बोला- "माँ, आप तो जानती है कि अंजलि भी पढ़ी-लिखी है और वह भी नौकरी करना चाहती है ताकि भविष्य में हमारे बच्चों को कोई परेशानी न हो। आप लोग भी घर में बोर होते होंगे। अब से आप घर को संभाले और अंजलि भी छुट्टी वाले दिन आपकी मदद कर दिया करेगी। और पापा, आप भी नाराज़ मत होना, कल से आप चिंटू को स्कूल से ले आना।"

मिस्टर शर्मा अपने अतीत और भविष्य से निकलते हुए वर्तमान की सपाट ज़मीन पर आ गए। अपने ग़म को छिपाते हुए और पत्नी के दर्द को समझते हुए, बनावटी हँसी, हँसकर बोले- "अरे! मैं तो सोचता था कि मेरे पास रिटायरमेंट के बाद करने को कोई काम न होगा, लेकिन लगता है कि अभी मुझे बहुत काम करना है। रिटायर तो मैं नौकरी से हुआ हूँ।" यह सुनकर मिसेज़ शर्मा की आँखें भर आईं।

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