सच कहा है मैंने
काव्य साहित्य | कविता अभिलाष गुप्ता4 Feb 2019
ये सब सहा है मैंने,
इसलिए ऐसा लगता है
सच कहा है मैंने,
जो गुज़री है मुझ पर वही
काग़ज़ पे उतारी है मैंने,
बड़ी मुश्किल से...
ज़िंदगी सँवारी है मैंने,
ग़मों का तीखा ज़हर
चुपचाप पिया है मैंने,
ज़िन्दगी को हर रंग में
जिया है मैंने,
गर मुहब्बत गुनाह है
तो हाँ ये गुनाह किया है मैंने,
गर्दिश की हर घड़ी हँस कर
गुज़ारी है मैंने,
बड़ी मुश्किल से ...
हर सितम से अब
लड़ने का वादा किया है मैंने,
ज़िंदगी में कुछ बनने का
इरादा किया है मैंने,
हाँ, कम लगता है मगर
बहुत ज़्यादा किया है मैंने,
जफ़ा के बदले भी
की वफ़ादारी है मैंने
बड़ी मुश्किल से ...
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