सच के लिये
शायरी | ग़ज़ल देवमणि पांडेय3 May 2012
क्या करना चाहिये ज़िन्दगी जीने के लिये
होश होना चाहिये ख़ुदकुशी करने के लिये
कभी-कभी अंदाज़ ग़लत होता है ज़िन्दगी का
जीना भी पड़ता है दूसरों की ख़ुशी के लिये
ख़्वाब था कि छोटा-सा घर बनाये अपने लिए
कोई अपना न मिला इस हक़ीक़त के लिये
जिस दिन से बात चली है मक़सद पाने की
चौराहे पर खड़े हैं कई लोग दिखाने के लिये
मैं ग़लत हूँ या सही मेरी हक़ीक़त है देवमणि
आपको ग़लत फ़हमी हुई है यह सच के लिये ।
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