सच को लगती आज गवाही
शायरी | ग़ज़ल अविनाश ब्यौहार1 Jan 2021
हिन्दी ग़ज़ल
फेलुन
22 22 22 22
सच को लगती आज गवाही
कोर्ट हुआ तो राज गवाही
और मरे पशुओं की देता
मांसाहारी बाज़ गवाही
इस सूबे के आक़ाओं की
देता केवल ताज गवाही
बारिश यदि घनघोर हुई तो
देती होगी गाज गवाही
आँखों में मीठे सपने हों
तो आँखों को नाज़ गवाही
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