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सड़कें ख़ून से लाल हुईं

सड़कें ख़ून से लाल हुईं,
हुआ कुछ भी नहीं
इनसानियत शरम-सार हुई,
हुआ कुछ भी नहीं

हर तरफ़ बम के धमाके हैं,
चीख है, आगजनी है
मगर सितमगर को आया
मज़ा कुछ भी नहीं

राहें चुप हैं, वीरान हैं,
दहकती तबाही का मंज़र है
प्रशासन कहता शहर में,
हुआ कुछ भी नहीं

राह लाशों का बनाकर
सत्ता के सफ़र पर निकलने
वाले कहते, सब ठीक है,
हुआ कुछ भी नहीं

ईश्वर करे, तुम्हारे घरों में भी
पत्थर गिरे, क़ोहराम मचे
आकाश फ़टे, तब कहना,
सब ठीक है, हुआ कुछ भी नहीं

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