समता का तौल
बाल साहित्य | बाल साहित्य कविता डॉ. प्रमोद सोनवानी 'पुष्प'15 Jun 2019
एक किरण जो सूरज से,
बिखर-बिखर कर पूरब से।
सारे तम को धो देती है,
देखो कितना धीरज से॥ 1॥
एक बूँद वर्षा से छनकर,
सीपी में सुन्दर से ढलकर।
नई कहानी गढ़ जाती है,
प्यारी सी वह मोती बनकर॥2॥
सीख यही ले लो तुम बच्चो,
एक धरा-ईश्वर है बच्चो।
आपस के रिश्ते-नातों को,
समता से तौलो तुम बच्चो॥3॥
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