समय छीनता है
काव्य साहित्य | कविता संजीव कुमार बब्बर27 Feb 2014
समय छीनता है
माँ की लोरियॉ
पिता की गोद
विद्यालय के दोस्त
प्यारा बचपन
अलहड़ जवानी
माँ बाप
भाई बहन
और...
देता है
सफेद केश
झुकी कमर
चार कंधे
कुछ लकड़ियाँ
और...
आग
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