समझाइश
बाल साहित्य | किशोर साहित्य कविता नरेंद्र श्रीवास्तव1 Oct 2020
रोली ने कविताएँ लिख के,
ख़ुशी में मम्मी को सुनाईं।
कविताओं को पढ़ के मम्मी,
ख़ुश हो फूली नहीं समायीं।
बेटी कविताएँ अच्छी हैं,
पर, ये बात समझ ना आए।
हिंदी की कविताओं में क्यों,
अंग्रेज़ी के शब्द मिलाए?
बोली रोली, कविताओं में,
शामिल बोलचाल की भाषा।
इसमें ग़लत नहीं है कुछ भी,
करती मन को नहीं निराशा।
मम्मी ने समझाया बिटिया,
बोलचाल में ध्यान लगाएँ।
जिस भाषा में बोलचाल हो,
उसमें दूजे नहीं मिलाएँ।
अन्य संबंधित लेख/रचनाएं
आज के हम बच्चे
किशोर साहित्य कविता | प्रतीक्षा नारायण बडिगेरहम नन्हे-मुन्हे तारे, आओ टिमटिमाएँ सारे।…
टिप्पणियाँ
कृपया टिप्पणी दें
लेखक की अन्य कृतियाँ
किशोर साहित्य कविता
कविता - हाइकु
बाल साहित्य कविता
- एक का पहाड़ा
- घोंसला प्रतियोगिता
- चंदा तुम प्यारे लगते
- चिड़िया और गिलहरी
- चूहा
- जग में नाम कमाओ
- टीचर जी
- डिब्बे-डिब्बे जुड़ी है रेल
- परीक्षा कोई भूत नहीं है
- पुत्र की जिज्ञासा
- फूल और तोता
- बारहामासी
- भालू जी की शाला
- मच्छर
- मुझ पर आई आफ़त
- ये मैंने रुपये जोड़े
- वंदना
- संकल्प
- स्वर की महिमा
- हरे-पीले पपीते
- हल निकलेगा कैसे
- ज़िद्दी बबलू
कविता
किशोर साहित्य आलेख
बाल साहित्य आलेख
अपनी बात
किशोर साहित्य लघुकथा
लघुकथा
हास्य-व्यंग्य कविता
गीत-नवगीत
विडियो
उपलब्ध नहीं
ऑडियो
उपलब्ध नहीं
{{user_name}} {{date_added}}
{{comment}}