समय
काव्य साहित्य | कविता जितेन्द्र मिश्र ‘भास्वर’1 Feb 2021 (अंक: 174, प्रथम, 2021 में प्रकाशित)
समय चलता है
रुकता नहीं
सदैव गतिमान है
थकता नहीं
समय हँसाता है
और रुलाता भी है
समय जगाता है
और सुलाता भी है
विकास और पतन
समय से ही होता है
कोई सुख पाता है
कोई दुख खोता है
समय पड़ने पर
कोई काम नहीं आता
पर हर आदमी का समय
ज़रूर आता है
हम समय के साथ चलें
अपना नित कर्म करें
सुख दुख तो आते रहते हैं
सिर्फ ईश्वर का नमन करें।
समय चलता है........॥
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