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संकट मोचक  

प्रदेश सरकार में वे पहली बार मंत्री आज से कोई दस वर्ष पहले बने थे। उस वक़्त उनके नालायक़ भाई की उम्र सोलह साल थी। इस वक़्त भी वे मंत्री हैं लेकिन उनका नालायक़ भाई अब छब्बीस साल का हो गया था। पहले हज़ार - दो हज़ार रुपये बतौर जेब ख़र्च माँगने वाले उनका भाई अब लाखों रुपए माँगने लगा था। मंत्री जी अपने भाई से बेहद परेशान हैं - यह बात मंत्री जी का निजी सहायक माणिक भी जानता था। वह  मंत्री जी के साथ तब से था जब वे सट्टा-मटका से जुड़े हुए थे। 

नेता बनने का बीज तो उनके दिमाग़ में माणिक ने ही डाला था। माणिक लिखना-पढ़ना तो नहीं जानता था लेकिन वो मंत्री जी का संकट मोचक  था।

ख़ैर, दो दिन पहले तो हद हो गई। मंत्री जी का भाई  उनसे दो करोड़ रुपया माँग रहा था। उस वक़्त माणिक  भी वहाँ मौजूद था। मंत्री जी के मना करने पर उसने उनके सभी तरह के कारनामों को उजागर  करने की धमकी दे डाली थी। जैसे ही भाई उनकी नज़रों से ओझल हुआ, उन्होंने  माणिक से कहा, "कुछ करते क्यों नहीं?"

दोपहर में ख़बर मिली कि मंत्री जी का भाई  सड़क हादसे में चल बसा।  

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