सरस्वती वंदना
काव्य साहित्य | कविता आलोक कौशिक15 Jan 2020
हम मानुष जड़मति
तू माँ हमारी भारती
आशीष से अपने
प्रज्ञा संतति का सँवारती
तिमिर अज्ञान का दूर
करो माँ वागीश्वरी
आत्मा संगीत की
निहित तुझमें रागेश्वरी
वाणी तू ही तू ही चक्षु
माँ वीणा-पुस्तक-धारिणी
तू ही चित्त बुद्धि तू ही
कृपा करो जगतारिणी
विराजो जिह्वा पे धात्री
हे देवी श्वेतपद्मासना
क्षमा करो अपराधों को
स्वीकार करो उपासना
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