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सत्कर्म का फल

एक दिन अंबर नाम का ग्वाला सुबह दूध लेकर, बेचने को निकला। वह दूध बेचकर घर की ओर लौट रहा था कि अचानक उसकी नज़र रास्ते पर पड़े एक घायल इंसान पर पड़ी। अंबर उसके पास गया, वह बहुत बुरी तरह से घायल हो गया था, इसके शरीर से लहू बहे जा रहे थे, उसके सर पर चोट आई थी। अंबर ने झटपट उसे उठाकर अस्पताल पहुँचाया। डॉक्टर ने उस घायल का इलाज किया उसके सर पर मरहम-पट्टी की, जब उसे होश आया तो उसने पूछा, "मुझे यहाँ कौन लेकर आया? मुझे तो एक मोटर बाइक वाले ने धक्का मार दिया था।" उसके बाद उसे कुछ भी याद ना था।

 डॉक्टर ने अम्बर को बुलाकर उसके सामने खड़ा कर दिया और कहा इन्होंने तुम्हारी जान बचाई।

 घायल इंसान ने अपना नाम मनोज बताया, और अम्बर को बहुत-बहुत धन्यवाद दिया।

 मनोज को बेहतर स्थिति में देखकर अंबर वापस अपने घर लौट आया।

कुछ दिन बीते, अंबर रोज़ की तरह दूध बेचने जाया करता। बरसात के मौसम में, नदी में बाढ़ आ गई। अंबर नदी पार कर दूध बेचने जाता था। आज भी वह दूध लेकर नदी को पार करने की कोशिश ही कर रहा था, अचानक उसका पैर फिसला और वह ख़ुद को सँभाल ना सका। वह पानी में डूबने लगा, उसे तैरना भी नहीं आता था।

डूबते हुए उसकी नज़र मनोज पर पड़ी, उसने उसे मदद के लिए पुकारा, पर मनोज ने उसे कहा कि उसे तैरना नहीं आता। कुछ देर तक अंबर पानी में हाथ-पैर मारता रहा। पर किसी ने उसकी मदद नहीं की। मनोज भी जा चुका था।

अंबर ने डूबते हुए अपने इष्ट, शिव बाबा ज्योति स्वरूप को देखा, उसे लगा कि उसका आख़िरी समय आ चुका है।

उसने महसूस किया कि किसी ने उसे पकड़ा, गोताखोर नाविक उधर से गुज़र रहे थे, उन्होंने अंबर को डूबते देखा तो, उसे उठाकर अपने नाव पर ले लिया। अंबर का पेट फूल चुका था क्योंकि उसने नदी का बहुत सारा पानी पी लिया था।
उन गोताखोरों ने तत्काल उसका पानी निकाला तथा उसका उपचार किया।

अंबर की आँखें खुलीं तो उसने ख़ुद को एक नाव पर सुरक्षित पाया। उसे विश्वास नहीं हो रहा था कि वह जीवित है। गोताखोरों ने उससे उसका घर का पता पूछा, और उसे उसके घर तक पहुँचाया।

अंबर मन ही मन सोचने लगा कि मैंने मनोज को उस दिन बचाया पर उसने मेरी मदद नहीं की। लेकिन मेरे शिव बाबा ने मुझे उन गोताखोरों के द्वारा बचा लिया।

तभी आकाशवाणी होती है "अंबर हर मनुष्य के द्वारा किए गए कर्मों का हिसाब मेरे पास होता है। मनोज ने पिछले जन्म में तुम पर कुछ उपकार किए थे, इसी कारणवश इस जन्म तुमने उसकी मदद करके उस कर्ज़ को उतार दिया। परंतु तुम्हारे द्वारा किया गया एक सत्कर्म का मैं तुम्हें दस गुना लौटाता हूँ। इसलिए यह आवश्यक नहीं कि जिसकी तुम मदद करो वह भी समय आने पर तुम्हारी मदद करें परंतु मैं तुम्हारा पिता परमपिता परमेश्वर तुम्हारे द्वारा किए गए सत्कर्म का फल लौटाने का ज़िम्मेदार हूँ।

"जब तुम बच्चे अच्छा कार्य करते हो, तो तुम्हारी सुरक्षा और तुम्हारी ज़िम्मेदारी मेरी होती है। इसलिए सदा नेक कार्य करो, किसी से कोई उम्मीद ना रखो, उम्मीद रखो तो सिर्फ़ और सिर्फ़ परमात्मा पर। समय आने पर निश्चित रूप से तुम्हारी मदद करेंगे।"

यह सुनकर अंबर ख़ुशी से गद्‌गद्‌ हो गया उसकी आँखें भर आईं, और उसने परमपिता से वादा किया कि वह अपने जीवन में सदा नेक और अच्छे कार्य ही करेगा।

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