शाम नहीं बदलती कभी
काव्य साहित्य | कविता रश्मि शर्मा15 May 2019
तुम्हारे नाम की शाम
अब तक है मेरे पास
नहीं सौंप पायी किसी को भी
अपनी उदासी
अपना दर्द, अपना डर
और अपना एकांत भी
बस करती रही इंतज़ार
ना तुम लौटे
ना कोई आ पाया जीवन में
तुम्हारे नाम सौंपी गयी शाम पर
किसी और का नाम
कभी लिख नहीं पाई
वो वक़्त
अधूरा ही रहा जीवन में
कुछ के रास्ते बदल जाते हैं
कुछ की मंज़िलें
मगर किसी-किसी की शाम
नहीं बदलती कभी।
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